एकत्व आवाज
ना मैं राम बन सकता
ना मैं कृष्ण बन पाता हूँ,
हर तरफ हो रहा शोर-शराबा
माफ़िया लोगों के लिए
मार काट तो है रोजों का धंधा,
दुनिया की इस फितरत के कारण
ना मैं कुछ बोल सकता
ना मैं चुप रह पाता हूँ |
दिल करता की कुछ बोलूँ
पर मैं हर बार सहम-सा जाता हूँ,
किस प्रकार से लड़ूं मैं?
दुनिया की बुराईयों से,
ना मैं राम हूँ,
ना मैं कृष्ण की अदा निभा पाता हूँ |
हाँ, जिस प्रकार प्रत्येक समस्या का समाधान होता है,
उसी प्रकार इस समस्या का भी निदान है,
होना पड़ेगा सबों को एकजुट
उठानी पड़ेगी सबों को आवाज,
अन्याय के विरुद्ध एक साथ
तब जाके होगा अन्याय का नाश |