एकतरफा संवाद।
एकतरफा चलते संवादों में,
मैं कब तक कुछ कह पाऊंगा,
आप हाथ तो बढ़ा कर देखिए जनाब,
मैं हमेशा साथ निभाऊंगा,
ना होगा मुझसे अनादर कभी,
ना कभी मैं दिल को दुखाऊंगा,
जब तक रहूंगा संपर्क में मैं,
कुछ अच्छा ही कह जाऊंगा,
एक कदम जो आप चलें,
तो मैं भी दो कदम बढ़ाऊंगा,
रूठेंगे आप जो बिना कुछ बोले,
तो मैं कैसे मनाने आऊंगा,
अपेक्षा तो मुझे कोई थी ही नहीं,
पर उपेक्षा भी ना सह पाऊंगा,
कहने को होगा बहुत कुछ दिल में,
फिर भी कुछ ना कह पाऊंगा,
जो मिला ना सका दिल,
तो हाथ ही मिला जाऊंगा,
मिलना बिछड़ना तो सिलसिला है ऐसा,
कि एक दिन मैं भी यहां से चला जाऊंगा।
कवि-अंबर श्रीवास्तव