एकतरफा मोहब्बत
देखते ही तुझको हमने अपना लिया,
माना खुदा और दिन-रात पूजा किया ।
अब आए जो तुम मेरे दिल के आशियाने में,
तो हमने भी हर शै को तुम से बावास्ता किया ।
जब भी मैंने तजकरा तेरे तस्सवुर का किया,
दोस्तों ने कहा ऐ शारिक तुमने तो उसे फरिश्ता किया।
पर लेकर मुझसे जान मेरी तुमने औरों से जो बयान किया,
खुद को बता पाकीजा मुझको गलीज किया ।
यू देख तेरी बेरुखी जब मैंने मयखाने का रुख किया,
तो है यह काम काफिरों का तुमने औरों को तबलीग किया।
जो भी हो हमने तो इश्क किया क्या कोई गुनाह किया,
तुमने तो महज फहस किया, ठीक है मजा लिया ।
पर ना इतरा ना ईठला अपनी इस मक्कारी पर,
जो मैंने तेरे हक में तेरे जैसे यार के लिए दुआ न किया।
✍✍✍ मोहम्मद शारिक अमीन