ऊर्जा आप भी, मैं भी
ऊर्जा हर जगह स्वतः ही हैं
प्रकृति ने हमे ऊर्जा उपहार में ही दी हैं
काश की हम उसको समय से पहचाह पाए
हर जीव में एक ऊर्जा ही मुस्कुरा रही हैं
फूल के खिलने की मुस्कुराहट भी वही है
हर स्त्री पुरुष सभी की मुस्कुराहट ऊर्जा ही तो हैं
न जाने क्यो हमे समय से समझ नही आता?
या हम भौतिक सुख भोग में जानना ही नही चाहते
पक्षियों का कलरव,भंवरो की गुंजन सभी ऊर्जा ही हैं
हवा का यूं चलना, नदियों का बहना बादलों की चमक
सब के सब ऊर्जा के ही रूप तो हैं पर फिर भी
न जाने क्यो हम समय से पहचाह नही पाते?
जब हम साक्षात देख पाएंगे तो हमे ज्ञान होगा
सच्चा ज्ञान ऊर्जा को समझने का ज्ञान
ऊर्जा तो हर जगह मौजूद है बस हमे
वो दृष्टि चाहिए जो सब देख सके समझ सके
मान्यताओं को छोड़ हमे वास्तविकता को देखना होगा
तब ही हम ऊर्जा को देख पाएंगे पहचाह पाएंगे
ऊर्जा सार्वभौमिक हैं बस इच्छा शक्ति की जरूरत हैं
तो आइए चले मान्यताओं को तोड़ आगे बढ़े
पहनाने अपने को,आप सब को,हम सब को,
अपनी ओढ़ी हुई धारणाओं को छोड़ आगे बढ़ना होगा
अपनी दिग्भर्मित दृष्टि को पहचानाना होगा
देखने की कला को बढ़ाना होगा
अपने को पहचानना होगा
ऊर्जा हम सब ही हैं आप भी,मैं भी,
डॉ मंजु सैनी