उड़ान हौंसलों की
उड़ान हौंसलों की है,
छूँ जाऊँगी नभ का कोना-कोना,
रंग नये होंगे,संग नये होंगे उस पार,
झर रहा होगा जहाँ अनंत प्यार अपार,
लेकर स्वप्निल सुंदर से पावन उपहार,
मैं मदमस्त होकर गाऊँगी गीत।
लूँगी खुद से खुद को ही जीत।
नारी हूँ शक्ति लिए दूर्गा की देख,
मुझमें प्रीत ममत्व स्नेह रूप अनेक,
नीरव रोदन नहीं करूँगी उत्थान,
पाकर जग का समस्त ज्ञान विज्ञान।
तभी बनूँगी आन बान शान महान।
आर.एस.प्रीतम