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19 Mar 2018 · 1 min read

उस लाल की कुर्बानी

मेरी कलम से…..✍
(एक छोटी सी श्रद्धांजलि उन माँ भारती के वीरों को, जिन्होंने शहादत देकर तिरंगा झुकने नहीं दिया। आइये नमन करते हैं उन रणबांकुरों को….)

हवाएं बेकाबू हैं आने वाला कोई,
तूफान लगता है…..!
सीमा पर फिर किसी का लाल हुआ,
कुर्बान लगता है…..!!

जल्द आने का वादा करके वो,
घर से निकला होगा…..!
तिरंगे में लिपट कर आएगा,
किसने ये सोचा होगा…..!!

माँ का कलेजा फट गया पिता का,
साहस टूट गया होगा…..!
तिरंगे में लिपटा हुआ जब वो,
घर लौट आया होगा…..!!

शहादत का जाम पीने वाले,
मुट्ठीभर ही होते हैं…..!
जिनके पहरे में रातों को हम करोडों,
बेफिक्र सोते हैं…..!!

कुर्बानी से उनकी ये,
पैग़ाम मिलता है…..!
हिफाज़त के साये में ही उनके,
ये गुलिस्तां खिलता है….!!

“गुप्ता” नमन करता है उन,
वीर शहीदों को….!
जो मरकर भी अमर रखते हैं,
वतन की उम्मीदों को….!!

हवाएं बेकाबू हैं आने वाला कोई,
तूफान लगता है….!
सीमा पर फिर किसी का लाल,
हुआ कुर्बान लगता है…..!!

रचनाकार,
कवि संजय गुप्ता।

Language: Hindi
356 Views
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