उस रोज तम्हें देखा
उस रोज तुम्हें देखा
फिर रोज तुम्हें देखा
हर पल तेरा चेहरा देखा
पलता ख्वाब सुनहरा देखा
कुछ देख के नजर झुकाई थी
कुछ पल को फिर शरमाई थी
कुछ सुनना था शायद तुझको
कुछ कहना था शायद मुझको
दोनों के बीच दूरी थी
कोई बात अभी अधूरी थी
दिल का हाल सुना जाना
तू मुड़ के हाथ हिला जाना
बेशक दोनों अनजान रहें
पर इतनी सी पहचान रहे
तू चाँद मैं तेरा तारा बनके
एक दूजे के दिल में चमके
सागर