उस रावण को मारो ना
राम मिलेगा खुद के अंदर गुण हृदय में धारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना—जो
ढूंढ रहे हो मंदिर मंदिर राम नाम की रटते माला
मान-सम्मान नहीं रखते संस्कारों को भूला डाला
माॅ॑-बाप की सेवा का है पहला फर्ज निहारो ना—जो
माॅ॑ बहन बेटी की इज्जत मान-सम्मान मिले पूरा
इनके बिना अधूरी दुनिया जीवन भी है कहाॅ॑ पूरा
जो नारी है पूजा लायक उसको यूॅ॑ धिक्कारो ना—जो
कर्म भूल कर पाप कमाते करते हो यूॅ॑ अय्याशी
कर्म-काण्ड करते फिरते मन की नहीं जली बाती
मूल मंत्र है कर्म करो जीवन की राह निखारो ना—जो
सदा नहीं रहता है गम सदा नहीं दुख रहता है
धूप-छांव आनी-जानी है कौन नहीं जो सहता है
सच्चाई है ये जीवन की तुम जीवन में धारो ना—-जो
‘V9द’ मौन रहना अच्छा देखो कड़वे बोलों से
सुख के दो पल अच्छे हैं हीरे-मोती अनमोलों से
बुरा किसी का न करना बुरी नजर निहारो ना—-जो