देश के वासी हैं
उस देश के वासी हैं
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उस देश के वासी हैं जहां
मानवता फलती फूलती है
भाई चारे का संदेश देती है
सत्य अहिंसा मंत्र गूंजता वहां
सत्यमेव जयते सबल नारा है
ममता सहिष्णुता सद्भाव भरा
जन पगड़ी केसरिया खिलता है
उषा निराली निशा की लाली
शांत मधुर मधुकलश सरस
परोसे प्यार भोजन की थाली
खाना क्या खाना जहां पे
स्नेह भाव से पेट भर जाता है
वाणी में स्वाद व्यवहार मीठी
खट्टी तीखी यादों में जन वक्त
गुजार गले लग ईदमुबारक
कहता है ऊँच नीच जाति पाति
भेद नहीं मिल जुल मेहनत मजदूरी
से खाते पीते दूजे को खिलाता है
विविधता में एकता दर्शाता है
होली दिवाली क्रिसमस पूजा
उत्सव एक साथ मनाता हैं
प्रेम दर्शानेवाला सत्य अहिंसा
अपनाने वाला मर्यादित जीवन
राम राग सुनाता है। जहाँ
स्वभिमान तिरंगा उड़ रहा
वह न्यारा भारत देश हमारा है
ऊँच नीच का भेद मतभेद नहीं
काले गोरे वर्णो से सरोकार नहीं
सबको एक दूसरे से नाता है
स्नेह मोहब्बत कण कण भरी
स्वच्छता मन मंदिर बसी जहां
सनातनी परंपरा संगम पावन
माटी पानी हवा घन नभ जल
संचयन वितरण बेहतरिन कला
नद्य सागर की पूजा होती जहाँ
हम उस देश के वासी हैं जिस
देश पग बांध घुंघरूमीरानाचीथी
जहां पग पग नारी की पूजाहोती
घर एक मंदिर स्वर्ग सलोना है
धन्य वह देश जहां जनक जानकी
सियाराम राधा रुकमनी कृष्ण दाऊ
नन्द यशोदा की जन्म भूमी है
शकुंतला दुश्यन्त लाल भरत नाम
भारत गवाह उपनिषद्वे द पुराण
गीता ज्ञान का सागर है स्वर्ग नरक
सीढ़ी चम्बा भरमोर हिमाचल पाण्डव
स्वर्ग पथ उत्तराखंड कैलाश मानसरोवर
हिमालय अभेद्य देश प्रहरी जहां
हम उस देश के वासी हैं जिस
देश में गंगा यमुना सरस्वती संगम
डुबकी से मोक्ष मिल जाता है
अद्भुत अद्वितीय दिव्यभव्य नव्य
सरयू श्रीरामचंद्रजी का घर मंदिर
सहज सुलभ मर्यादा पुरुषोत्तम पद
खलाऊं रख सिंहासन रामराज चला है
अयोध्या मथुरा वृंदावन कावा काशी
जहां रूह भरी भरपूर हवाएं जीवन
रुत सिखाता है जय भारत जय भारती
सत्य स्वर पवन चारों दिशा फैलाता है
दूजे दुःख समझ निज आपदा विपदा
आगे आने वाला देश भारत जग जन
का भी प्यारा है ।
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तारकेशवर प्रसाद तरूण