उसूल
उसूल
मजबूरियों की आँच पर
तिल तिल कर पिघलता
उसूलों का मोम।
तंग संसाधनों की धुँध से
आच्छादित होता
आदर्शों का व्योम।
चकनाचूर होते सपने
बिलग हुए अपने
आतुर क्षुधा पर सब होम।
-©नवल किशोर सिंह
उसूल
मजबूरियों की आँच पर
तिल तिल कर पिघलता
उसूलों का मोम।
तंग संसाधनों की धुँध से
आच्छादित होता
आदर्शों का व्योम।
चकनाचूर होते सपने
बिलग हुए अपने
आतुर क्षुधा पर सब होम।
-©नवल किशोर सिंह