उसी संघर्ष को रोजाना, हम सब दोहराते हैं (हिंदी गजल))
उसी संघर्ष को रोजाना, हम सब दोहराते हैं (हिंदी गजल))
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( 1 )
उसी संघर्ष को रोजाना, हम सब दोहराते हैं
पुरानी फिर कहानी में ही, नूतन पात्र आते हैं
( 2 )
वही खतरे चुनौती वह ही ,वह विस्तार की नीयत
बदलकर नाम दुश्मन अपनी, बंदूकें चलाते हैं
( 3 )
हिफाजत से रखो यह देश, चौकन्ने सतत होकर
अभी भी चल रहा है युद्ध , लक्षण यह बताते हैं
( 4 )
कहाँ तक अपने बच्चों से, करें आदर्श की बातें
बिना पैसों के दुनिया में, बुरे दिन जो बिताते हैं
( 5 )
किसी को चाहिए धन-बल ,किसी को चाहिए पद-बल
यही किस्से बचे हैं जो कि, सब आकर सुनाते हैं
( 6 )
पुराने दौर के आदर्श , जीवित अब भी हैं भीतर
उसी को याद करते हैं ,उसी के गीत गाते हैं
(7)
हजारों साल से यह विश्व, सबने एक-सा पाया
कभी खुद लोग लड़ते हैं, कभी दुर्जन लड़ाते हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
*मोबाइल 99976 15451