उसने कहा :
उसने कहा :
“तुझ से बात करने को मुझे फुरसत नहीं है।
तू भूल जा मुझे ये हकीकत नहीं है।। ”
मैंने कहा :
” मेरी ज़ान !
मुझे पता है तु मेरी अमानत नहीं है।
पर तुमने जिस कारागृह में रखा है ना, मुझे ।
उसका कोई जम़ानत नहीं है।। “
—(दि…. म) राँची, झारखण्ड