उसने ऐसा क्यों किया
यह कहानी एक परिवार के उस दर्द को बयान करती है जो उसके बेटे ने जाते जाते उनके लिए छोड़ गया है। एक हँसता खेलता परिवार अर्श से फर्श पर आ गया। यह कहानी डॉ रामजी प्रसाद महतो की है (काल्पनीक नाम)। यह तीन लोगों का हँसता खेलता परिवार है, जिसमे पति-पत्नि और बेटा है। सब तरह से घर मे खुशियाली ही खुशियाली नजर आ रही थी। डॉ राम जी ने बड़ी मेहनत से डॉक्टरी की पढाई कर सरकारी नौकरी पाई थी। ईश्वर की कृपा से घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। खुद सरकारी अस्पताल मे डॉक्टर और पत्नी कुशल गृहणी और एक बेटा जो पढने मे काफी तेज था। बेटे के ईद – गिर्द में उन दोनो का जीवन चलता था और बेटा भी काफी समझदार, गंभीर और सब तरह से व्यवहारिक था। बेटे ने दसवीं और बारहवी बहुत ही अच्छे अंको से पास किया था | बेटे को इंजीनियर बनना चाहता था इसलिए उसने इन्जीनियरिंग पढ़ाई के लिए पिता से स्वीकृत मांगी और पिता तैयार हो गए। पिता ने भी बेटे की इच्छा को न काटते हुए बेटे को एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवा दिया था। छुट्टियों मे बेटा घर आता तो माँ के जान मे जान आ जाती। हर दिन एक नई पकवान बनाकर बेटे को खिलाने मे लग जाती। हर तरह से अपना लाड़-प्यार बेटे पर जताती ।”तू मेरा इकलौता चिराग है। तू मेरे बुढ़ापे का सहारा है।”यह बात कहकर उसे वह बार बार चिढ़ाती। बेटे का प्रथम साल बीत चुका था। अच्छे अंक भी आए थे। बेटा अब दूसरे साल में प्रवेश कर गया था। माता -पिता आपस मे बात करते की अब बस तीन से चार साल में सुमित(बेटा) अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा। वह यह सोचकर ख्वाब बुन रहे थे और बेटा एक अलग ख्वाबो की दुनियाँ मे जी रहा था। इस बार जब वह घर आया तो कुछ उखड़ा – उखड़ा नजर आ रहा था। माता पिता ने जानने की कोशिश की पर “कोई बात नहीं है पढ़ाई का थोड़ा दबाव है” यह कहकर टाल दिया। कुछ दिन रहकर वह फिर कॉलेज चला गया। कुछ दिनो बाद, सुबह – सुबह डाँ राम जी को पुलिस ने फोन किया “आपके बेटे ने आत्महत्या कर लिया है।” यह सुनकर दोनो सदमे में आ गए । वहाँ पहुँचे तो पता चला उनका बेटा किसी लड़की के प्यार में था और ठुकराए जाने के कारण उसने आत्महत्या कर लिया है। यह सुनकर उनके पैरों के तले की जमीं हिल गई। वह यह सोच भी नहीं पा रहे थे की उनका बेटा ऐसे कैसे कर सकता है। जिस बेटे को वे दोनो जी – जान से प्यार करते थे।उसने प्यार वाली बात हम दोनो से क्यों छिपाया।कई प्रश्न एक साथ उनके मन में घूम रहे थे।वह समझ नही पा रहे थे की उनका बेटा किसी झूठे प्यार के लिए कैसे आत्महत्या कर सकता है। कैसे उन – सबको छोड़कर जा सकता है। इस बात से उन दोनो को काफी सदमा लगा। साल पर साल बीतता रहा। उन लोगो कही भी आना जाना छोड़ दिया।अस्पताल जाते थे पर हर समय बुझे बुझे से लगती थे।ऐसा लगता था जैसे अब उनके जीवन में कोई खुशी नही बची हो । एक दिन किसी अपने ने उन्हें बच्चा लाने को सलाह दिया। तीन साल बाद फिर उन्होने बच्चा लाने का सोचा और लाया। इस बार उन्हें जुड़वा बच्चे हुआ। बच्चे तीन साल से ऊपर के अब हो गए है। डॉ राम जी उसे रोज स्कूल बस तक छोड़ने जाते है, पर ऐसा लगता है जैसे उनमे जीने की लालसा खत्म हो गई है। सिर्फ वंश बढ़ाने की खातिर वह दोनों बच्चो को पाल रहे है । न अब पहले वाला उत्साह है न उमंग रह गया है। बस अब वह जीवन काट रहे है । कभी बात चलती है तो आँखो में आँसु भरकर कहते है “ऐसा करने से पहले उसने हम दोनो के बारे मे एक बार भी नही सोचा। कितना खुदगर्ज निकला वह एकबार भी नही सोचा की उसके बिना हम सब कैसे जिएंगें। आखिर क्या कमी रह गई थी हमारे प्यार मे?”इतना कह वे फूट-फूट कर रोने लगते है।
~ अनामिका