उसकी आंखें ही पढ़ आया
वादों भरी इस दुनिया में, एक वादा ऐसा पाया,
शब्दों में कोई जिक्र नहीं पर आँखो ने सब था बताया।
हाँ कोई तो था शख्स जो मेरे इतना पास आया,
लफ्ज़ो की थी नहीं ज़रुरत मैं उसकी आँखे ही पढ़ आया।
फक्र था जेहन में मैंने इक शख्स है ऐसा पाया,
ईश्वर ने जैसे उसे बस मेरे लिए ही बनाया।
जब तक था साथ क्या खूबसूरत थी बात,
बिन कहे समझने लगा था मैं उसके दिल की बात।
इम्तेहां की घडी जब थी मेरे सामने आयी,
हाथो में बस मेरे मायूसी ही मायूसी आयी,
टुटा वो वादा जो मैंने खुद ही बुना था,
उसने तो ऐसा कहा नहीं जो मैंने सुना था।
शिकायत भी क्या करता मैं लौट वहाँ से आया,
वादों भरी इस दुनिया में एक वादा ऐसा भी पाया,
© अभिषेक पाण्डेय अभि