#उषा खिलेगी, हद रात की है
उषा खिलेगी, हद रात की है
असीम भेटें, शुभ काम देता।
मुकाम यादें, यह नाम देता।।
सही विचारो, फल नेक होगा।
सभी दिलों से, अभिषेक होगा।।
सजे नज़ारे, जिस ओर देखो।
मही सजीली, हर छोर देखो।।
ख़ुशी नवेली, नभ बाँट डोले।
हमें रिझाए, दिन-रात घोले।।
निगाह को हो, जब लक्ष्य प्यारा।
मिले पगों को, मन से सहारा।।
हँसो हँसाओ, यह नीति ठानो।
भुला बुराई, निज जीत मानो।।
किसे पता है, कल क्या घटेगा।
सँवार लोगे, कल नेह बढ़ेगा।।
कभी किसी का, दिल शाद होगा।
उसे सदा ही, पल याद होगा।।
सही मिसालें, कब कौन भूला।
सुनी किसी ने, मन ख़ूब फूला।।
अरे!उदासी, किस बात की है?
उषा खिलेगी, हद रात की है।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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