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16 May 2024 · 1 min read

उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।

मुक्तक

उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।
उलझी हुई जुल्फों से ही मसले सुलझ गए।
जो भी घनेरी जुल्फों के साए में आ गये,
वो सारे शख्स इनकी अहमियत समझ गए।

…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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