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22 Nov 2018 · 1 min read

उलझी हर बात क्या करे कोई

उलझी हर बात क्या करे कोई
बिगड़े हालात क्या करे कोई

पिघले जज्बात क्या करे कोई
होगी बरसात क्या करे कोई

जब नहीं है बहार का मौसम
झड़ गये पात क्या करे कोई

रूठ ये चाँद ही गया है जब
काली है रात क्या करे कोई

करवटें वक़्त ने बदल ली यूँ
मिल गई मात क्या करे कोई

‘अर्चना’ है विधान ये विधि का
मौत की बात क्या करे कोई

22-11-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

7 Likes · 6 Comments · 391 Views
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