उलझता रहता है हर कोई यहां इश्क़ की चाहतों में।
उलझता रहता है हर कोई यहां इश्क़ की चाहतों में,
और कहता है सबको ना पड़ना कभी इन आफतों में।
अनगिनत नामों से नवाजा गया है इसे तो रिवायतों में,
और पाकीज़गी पर इसकी उठते हैं सावल दावतों में।
सबब अश्कों का बनाकर बहाते हैं इसे इबादतों में,
और कभी फुर्सत के लम्हें बीताते हैं इसकी शिकायतों में।
अनचाही बारिश बन भींगा जाता है ये अनजाने रास्तों में,
और धड़कनें समझ नहीं पाती, कब शामिल हुआ ये आदतों में।
नुमाइश चैन की होती है, यूँ सेंध लग जाती है राहतों में,
और फिर भी कतारें लगी रहती है कि पुकारा जाए इसकी इनायतों में।
कोशिशें तो बहुत हुई कि समझा पाएं इसे कहावतों में,
पर बेताबियाँ तो महसूस होती हैं बस एहसासों से भरे हालातों में।
बदनामियाँ कमा रखी हैं इसने, दुनिया भर की रियासतों में,
पर ज़िक्र एक ख़ास हीं होता है इसका लिखी हुई आयतों में।