उम्र
कट जाएगी ये उम्र अगर काट
रहे हैं रोते हुए,
सफल हो जाये ज़िंदगी जियो
अगर हँसते हँसाते हुए।
चलो माना दुख थोड़े ज्यादा हैं
ओर सुख कम,
बिता न दे क्यों वक़्त गम का
मुस्कुराते हुए।
ये दुनियां जैसी है उसी में ही
जीना है हमें,
जीना क्यूं सबकी कमियों को
बताते हुए।
उसने ये कहा उसने वो कहा
की फिक्र क्यों,
दिनरात क्यों रहते हो ओरों
में मन उलझाते हुए।
कोई अपना दिल तोड़ गया
दोस्त भी छोड़ गया,
ढूंढे खुशी कहीं और क्यों जियें
शिकायत लगाते हुए।
जो खो गया उसका गम क्यों
जो मिला शुक्र उसका,
हम रहें अपनी धुन में मस्ती के
गीत गाते हुए।
जियो जितना भी कर्म अच्छे
हो कुछ ऐसा करे,
ना हो बोझ गुनाहों का आखरी
वक़्त जाते हुए।
वजह खुशियों की जहां में कम
नहीं है मेरे दोस्त,
क्यों काटे उम्र को बेवजह फिक्र
में गवांते हुए।
हर उम्र को जीना ज़िंदादिली
से अपनी,
ऐसा ना हो के कटे उम्र सारी
मन मे पछताते हुए।
ज़िंदगी बार बार नहीं मिलती
ये जानते हो।
जियो हर पल को तुम यहाँ
खिलखिलाते हुए।
सीमा शर्मा