#रुबाइयाँ
ख़ूब बढ़ेगी उम्र उसी की , जो सुंदर चीज़ निहारे।
मन तनाव से दूर रहेगा , सुंदरता जिसे निखारे।।
मोल नहीं है कौल सही है , कोई परहेज़ नहीं है;
निज जीवन जिसको भी प्यारा ; चलता सुंदरता धारे।।
सोच नयी कर नव पल्लव-सम , हरियाली उर आएगी।
आशाओं के चिल्मन से ही ; भौर नयी दिख जाएगी।।
मेघ एक भी देख धरा का , कण-कण पुलकित हो जाए;
विश्वास यही बरसाए घन ; धरती फिर हर्षाएगी।।
मौन रहो पर काम करो तुम , काम एक दिन बोलेगा।
सूर्य-रश्मियों की जगमग से , रोशन जग ये डोलेगा।।
पुष्प वही तो खींचे मन को , महक लिए हो जो उर में;
शंख वही साँसों को भाए , जो चित ध्वनि का खोलेगा।।
#आर.एस.’प्रीतम’