उम्मीद
सब कुछ खो जाये अगर, मत खोना उम्मीद।
सपने आते हैं तभी, जब आती है नींद।।
एक सजग इंसान ही, करता है उम्मीद।
बिन कारण खोता नहीं,वह आँखों का नींद।।
कटे पेड़ की टहनियाँ, कब देती है छाँव।
उम्मीदें हद से अधिक, बना जख्म का गाँव।।
मन है जिद्दी परिन्दा, नहीं मानता हार।
उम्मीदें घायल करें, उड़ता पंख पसार।।
वक्त बुरा जब आय तो, उम्मीदों को थाम।
कर्म सदा करते रहो, लेकर प्रभु का नाम।।
लक्ष्मी सिंह