उम्मीद मत रखिए
उम्मीद मत रखिए किसी से दिलनवाज़ी की,
खिदमत अब करते हैं लोग बस दिखावे की।
बड़े अदब से पेश आते हैं दौलत वालों से,
इज़्ज़त नहीं करते अब लोग उम्रदराज़ो की।
— त्रिशिका श्रीवास्तव “धरा”
कानपुर (उ.प्र.)
उम्मीद मत रखिए किसी से दिलनवाज़ी की,
खिदमत अब करते हैं लोग बस दिखावे की।
बड़े अदब से पेश आते हैं दौलत वालों से,
इज़्ज़त नहीं करते अब लोग उम्रदराज़ो की।
— त्रिशिका श्रीवास्तव “धरा”
कानपुर (उ.प्र.)