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20 May 2024 · 1 min read

उम्मीद की नाव

उम्मीदों की नाव बनाकर उस पर बैठा मन का परिंदा।
विपदा बाधा टल जाएगी धीरज तो धर तू थोड़ा सा ।।

खुद को क्यों तू कमतर आकें
करता हरदम नम क्यों आंखें
क्यों डरता इन तूफानों से
तिनका है जो उड़ जाएगा
आ देख निकाल इन तूफानों में
जज्बा रख तू डट जाने का
विपदा बाधा टल जाएगी धीरज तो धर तू थोड़ा सा

सूरज की इन तेज किरण से
क्यों तू हर पल डरता है
दावानल को देख देख के
क्यों तू हरदम मरता है
क्या सूखे पत्तों के जैसे
डर है तुझको जल जाने का
इक बार कदम रख तपिश भूमि में
साहस तू तप जाने का
विपदा बाधा तट जाएगी
धीरज तो धर तू थोड़ा सा

काली घनघोर घटाएं हो
बादल भी जमकर छाए हो
अंबर भी यूं हुंकार भरे
जल शत्रु सा व्यवहार करे
तू क्यों डरता उस बरखा से
माटी है जो गल जाएगा
चल उतर जरा गहरे पानी में
निश्चय रख मोती पाने सा
बिपदा बाधा टल जाएगी धीरज तो धर तू थोड़ा सा

Language: Hindi
102 Views

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