उम्मीद का परिंदा
उम्मीद का परिंदा नया रास्ता तलाशे।
भटके यहां वहां पर किस वास्ते तलाशे।।
उम्मीद पे है दुनिया उम्मीद से जहां हैं।
उम्मीद के बिना तो कोई रास्ता कहां हैं।।
उम्मीद ही तो केवल एक रास्ता बचा हैं।
उम्मीद के भरोसे हर कारवाँ चला हैं।।
उम्मीद में हूँ मैं भी उम्मीद में हैं तू भी।
उम्मीद के भरोसे हर सांस चल रही हैं।।
उम्मीद इस जहां का हैं आखिरी किनारा।
उम्मीद बिन तो मुश्किल एक पल यहां गुजरा।।
उम्मीद में मगन हैं उम्मीद में गगन हैं।
उम्मीद के सहारे खिलता यहां चमन हैं।।
उम्मीद ही तो सबको नये रास्ते दिखाती।
उम्मीद ही सभी को हँसना यहां सिखाती।।
उम्मीद ना रहे तो कोई जी के क्या करेगा?
उम्मीद पे टिकी हैं दुनिया की हर ख्वाहिश।।
उम्मीद पर टिकी हैं हर आस जिंदगी की।
उम्मीद ना रहे तो कोई आस ना रहेगी।।
उम्मीद पर टिकी हैं हर सांस जिंदगी की।
उम्मीद ना रहे तो कोई सांस ना रहेगी।।
उम्मीद का परिंदा नया रास्ता तलाशे…
ललकार भारद्वाज