उम्मीद का दिया
शहर के एक मुहल्ले में
एक युवक ने
किराया से एक कमरा लिया
और उसमे रहने लगा
शायद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था
वह चाहता था
खाली समय में अपने दुःख सुख बांटे मगर
किससे?
निराश हो कमरे में बंद हो जाता है
असफलताएं और सफलता की उम्मीद
एक दिन ऐसा भी आएगा
मिलेगी अच्छी नौकरी
मिलेगा वेतन
घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा
अनेक मित्र होंगे
घर होगा,कार होगी
लोग सम्मान करेंगे
इस प्रकार वह रोज उम्मीद केदिये जलाताथा
क ई साल बीत जाने पर उसने देखा
उम्मीद के दिये बुझ चुके हैं
उसके हाथ और पैर बंधें है
जिसे वह कमरा समझता था
वह जेल है
परंतु अभी भी एक दिया जल रहा है
कभी तो इस जेल से बाहर जाऊंगा