उम्मीदों भरा सफ़र ( जीवनसंगिनी के साथ)
बस……..
ज़िन्दगी की सुबह ……..
उनकी खनकती चूड़ियोंवाले
हाथों द्वारा …….
अरूणिमा बिखेरते…..
भगवान भास्कर की साक्ष्य में……
कोयल की मीठी कूक के बीच……
तुलसी मैया के पौधे में……
पवित्र जल के अर्पण से हो।
जिन्दगी की शाम…..
उनकी मेंहदी लगी हाथों में
सांध्यदीप लिए …….
सुगंधित धूप के साये में …….
कानों को सुकून देती……
पायल के झंकृत घुंघरू के बीच ……..
टनटन करती घंटी की……
सुमधुर लयबद्ध ध्वनि से हो।
जिंदगी का दिवाकाल………
उनकी गुलाबी कपोलों पे…..
निश्छल खिलखिलाते मुस्कानों से ……..
सींच रही…..
मेरी जीवन बगिया में खिल रहे ……
पलाश के सिन्दूरी फूल
के साथ……
अमिया की मंजरी से आती…..
मदमाती…….
ललचाती……
सुगंधित हवाओं से हो।
और ……..
जिन्दगी का निशाकाल ……
उनकी सितारों वाली मुखड़े की तरह ……..
अनायास ही चुनौती देकर परास्त करती हुई ……
शीतल प्रकाश बिखेरती…….
बृहत व सुंदरतम…….
शान्तचित्त…….
बीती मधुमासवाली रात्रि के …….
पूर्णिमा की चाँद की तरह हो।
(कुमार राजीव “अप्पू”)
………जीवनसंगिनी माधवी जी को समर्पित