उम्मीदों कासाथ न छोड़ो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो
चाहे फट जाए बादल ,चाहे धरती अंबर डोले
तार प्रभु से जोड़ो यारो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो।
आज मचाया भंवर ने कहर उम्मीदों का साथ न छोड़ो
छाई है मुसीबत की लहर
पतवार का साथ न छोड़ो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो।
जीवन की नैया डगमग डोले
धीरज का साथ न छोड़ो
देखा जाएगा जो होएगा
जीने की आस न छोड़ो।
उम्मीदों का साथ न छोड़ो।
आया तूफान ये चला जाएगा
सुबह का सूरज फिर आएगा
मन डोर प्रभु से जोड़ो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो ।
यह जीवन सुख -दुख का सागर
पीनी पड़ती है आंसु गागर
इस नैया का मुख तो मोड़ो
उम्मीदों का साथ न छोड़ो।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)