Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2017 · 2 min read

उफ! यह प्रदूषण

गौर से देखिए बाहर
घना काला बादल सा छाया चहुं ओर
सांस लेने में हो गई दिक्क्त
आंखों में जलन, सीने में जमघट
पर इसको आज की चर्चा का विषय
बनाने से पहले मानव जरा स्वयं की
ले ले सुधबुध

प्रकृति तो हम चेतनशील इंसानों
से है बहुत-बहुत घबराई हुई,
मानव न आ जाए यहां कहीं
यही सोच कर सहमी और घबराई हुई,
रौनक जिस इलाके में बढ़ जाती है इंसानों की
पेड़ों की आ जाती है शामत, क्यारी से बन जाती
है हर तरफ चमकीले शीशों के मॉलों की,
जब ईश्वर द्वारा आपूर्ति किए गए ऑक्सीजन के
सिलेण्डरों को,
स्वार्थसिद्धियों में गिराए जाओगे,
तो बताओ परिपक्वता से भरपूर शिक्षित बुद्धिजीवियों
इस प्राणवायु ऑक्सीजन का कारखाना कहां लगा पाओगे—

प्रकृति बयां कर रही है
हाले दिल हमारे अवचेतन का,
दमघोटू मानसिकता
धुधली-घुंधली सी बैचेनी,
दूषित विचारों की कालिमा
तमाम धन-दौलत, उपलब्धियों
शानो-शौकतों को बेच कर भी
खरीद न सकोगे स्वस्थता शरीर की,
मुस्कान होंठो की, सुकून जीवन का,
प्यार रिश्तों में, पवित्रता विचारों की
नहीं दोगे ध्यान] तो होती रहेगी ऐसे ही उथल-पुथल
भीतर और बाहर,
चूंकि प्रकृति तो जो लेती है
वही देती है,
तो तुम्हें क्या देना है यह सोचो
अपने लिए न सही अपने छोटे-छोटे नन्हीं अनखिली कलियों के लिए ही सही
जो तुम्हारे बाद घूमेगी तुम्हारी परछाई बन कर,
नाम रोशन करेगी तुम्हारे नाम का
तुम्हारे तथाकथित सरनेम को जो बढ़ाएगीं आगे
कुछ तो अच्छा सुंदर छोड़ जाओ उनके लिए प्रकृति की विरासत से
इस अनमोल संपत्ति पर भी तो हक है न उनका
तो लिख डालो अपने वसीयतनामे की चीजों पर हरियाली, पेड़
साफ सुथरी हवा, मनोहारी कल्याणकारी स्वच्छ प्रकृति की धरोहर

मीनाक्षी भसीन©सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
617 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरी याद.....!
तेरी याद.....!
singh kunwar sarvendra vikram
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
मेरे अंदर भी इक अमृता है
मेरे अंदर भी इक अमृता है
Shweta Soni
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
शिवम "सहज"
हमारा संघर्ष
हमारा संघर्ष
पूर्वार्थ
रूपमाला
रूपमाला
डॉ.सीमा अग्रवाल
क्रोधी सदा भूत में जीता
क्रोधी सदा भूत में जीता
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शक्ति स्वरूपा कन्या
शक्ति स्वरूपा कन्या
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
मेरे सनम
मेरे सनम
Shiv yadav
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
कठपुतली
कठपुतली
Shyam Sundar Subramanian
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"गलतफहमी"
Dr. Kishan tandon kranti
मौसम का मिजाज़ अलबेला
मौसम का मिजाज़ अलबेला
Buddha Prakash
वादा निभाना
वादा निभाना
surenderpal vaidya
■ कौन बताएगा...?
■ कौन बताएगा...?
*प्रणय*
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
कैसा क़हर है क़ुदरत
कैसा क़हर है क़ुदरत
Atul "Krishn"
हौसला देने वाले अशआर
हौसला देने वाले अशआर
Dr fauzia Naseem shad
ए मौत आ, आज रात
ए मौत आ, आज रात
Ashwini sharma
अभी सत्य की खोज जारी है...
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
जो मिला ही नहीं
जो मिला ही नहीं
Dr. Rajeev Jain
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
जिंदगी
जिंदगी
Dr.Priya Soni Khare
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
आज की हकीकत
आज की हकीकत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*दिल के दीये जलते रहें*
*दिल के दीये जलते रहें*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...