उफ़…. मीठी_चाय…
जज्बाती कलम अपनी कैसे रोक दूँ…
उसने जब पूछा तेरा दिल कैसे तोड़ दूँ….
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इजहार-ए-दिल आँखों से कैसे कर दूँ…
उसके नाम धड़कनें मेरी कैसे कर दूँ….
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पहली मुलाकात को अरसा-सा हो गया….
जैसे चाँद की कश्ती का तारा-सा खो गया….
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मेरी मीठी चाय का प्याला टूट-सा गया…
जैसे कोई हमदम अपना-सा रूठ-सा गया…
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जीने का एहसास तुझ बिन होता ही नहीं…
तन्हाँई में तेरे सिवा याद कोई और आता ही नहीं…
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इक दफा तू इस कदर मुस्कुराता ही नहीं …
यूँ ही बे-वजह हमको प्यार होता ही नहीं….
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#rahul_rhs