उपहार
बलबीर सिंह जी शहर के बड़े कारोबारियों में गिने जाते थे, कई पेट्रोल पंप ठेकेदारी रियल स्टेट वैध अवैध कई कारोबार थे। उनके फार्म हाउस पर एक पति पत्नी राजू और रजनी काम करते थे। राजू मोटरसाइकिल चला लेता था सो मालिक अपने कार्य के लिए अपनी बुलेट दे दिया करते थे। एक दिन मालिक ने राजू को कुछ कागज देते हुए कहा, आप दोनों पति पत्नी ने हमारी बहुत सेवा की है, आज से यह बुलेट तुम्हारी हुई, अब तुम इसके मालिक बन गए हो, राजू गदगद हो गया, मालिक के चरण छू कर कृतार्थ हो गया।
मालिक ने कहा जाओ तुम दोनों, बहुत दिन से गांव भी नहीं गए आज अपनी मोटरसाइकिल से गांव हो आओ।
दूसरे ही दिन राजू और रजनी खुशी खुशी गांव चले गए।
तीसरे दिन राजू की तलाश में पुलिस गांव में आ गई और राजू को गिरफ्तार कर लिया। राजू बोला मेरा दोष तो बताइए? पुलिस वोली तुम्हारी मोटरसाइकिल से एक नवयुवती मारी गई है। सर मुझे तो यह कल ही सेठ जी ने उपहार स्वरूप भेंट की है, देखो सारे कागज और सबूत तुम्हारे खिलाफ हैं, तुमने मोटरसाइकिल बलवीर सिंह जी से खरीदी है। तुम्हारे खिलाफ प्रत्यक्षदर्शी भी हैं, घटना सीसी टीवी में कैद है। चित्र स्पष्ट नहीं है, लेकिन कद काठी और कागज से तुम्हारी पहचान हो गई है। पुलिस राजू को गिरफ्तार कर ले गई। राजू मन ही मन सेठ जी की दरियादिली और प्रेम भरे उपहार के बारे में सोच सोच कर हवालात में करवटें बदल रहा था।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी