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3 Jun 2023 · 1 min read

उनके ही नाम

करते थे कितने ही जाम तमाम हम उनके ही नाम से!
करते थे यारौ से बातै हजारौ लाखो,उनके ही नाम से!!
गली-मौहल्ले मे होते थे बस हल्ले, उनके ही नाम से!
चाय-पान की दूकान पर चर्चे थे,बसउनके ही नाम के!!
पढाई-लिखाई भी होती थी शुरू.बस उनके ही नाम से!
नही देते थे तवज्जो ,मतलब नही था किसी काम से!!
मौज-मस्ती उडा,यारो से मिलना बिना किसी काम से!
बस उनके स्कूल की छुट्टी पर,मिलते थे एहतराम से!!
घर से स्कूल औ स्कूल से घर पँहुचाना बिना काम से!
जिन्दगी की हर खुशी पाबस्त थी,बस उनके ही नाम से!!
घरवालो ने तो हमै अहमक- निकम्मा ठहरा दिया था!
पर बडी संजीदगी से मतलब रखे,बस उनके ही नाम से!!
कभी बातो का कोई सिलसिला शुरू भी नही हुआ था!
इक सुबहो खबर शादी की मिली,बस गए हम काम से!!
बडी मेहनत और मशक्कत से,सजाई अर्थी मुहब्बत की!
चल पडे अगले दिन दूजी गली,लग गए हम फिर काम से!!

मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित
बोधिसत्व कस्तूरिया अधिवक्ता कवि पत्रकार 202 नीरव निकुंज Ph2 सिकंदरा आगरा -282007
मोबाइल नंबर 9412443093

Language: Hindi
1 Like · 269 Views
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