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24 Dec 2017 · 1 min read

उधड़ गयी जो सीयन

अब उधड़ गयी जो सीयन उधड़ने दे
ख्वाब अगर सच नही तो रहने दे

खुला जो छत आसमाँ का,वक्त का पहिया रुक गया
रुका तो थक गया,बाहर खडी मौत को कहने दे

सहम मत आयी मौत का स्वागत कर
खातिरदारी कर और थोडा ठहरने दे

बता उसे जिंदगी का हाल बेहाल कर दे
जब आयी है तो मौत को भी सहमने दे

चल अब उठ चलने का वक्त हो गया
मौत धीरे चल,जिंदगी का दर्द सहा मौत का भी सहने दे

साँसे अभी चल रही थी, आँखे खुली उस छोर पर
जिंदगी कहती मिल आया मौत से तो अब उठने दे

सपने से उठा तो हकिकत से मिला
मंद मुस्कान भी बोल पडी सिलसिला अभी चलने दे

खुला जो छत आसमाँ का,वक्त पहिया कह गया “राव” उधड गयी जो सीयन उधडने दे
ख्वाब अगर सच नही तो रहने दे

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