उदर-विकार
मरीज का सरसरी तौर पर मुआयना करके डाक्टर ने कहा ……
शायद इसको उदर विकार है,
इसी लिए हाहाकार है.
साथ आये व्यक्ति से पूछा ……
क्या लंबे समय से यह विकार है?
जिसके कारण यह बेकरार है.
कभी कोशिश भी हुई इस के निदान की?
या कोई परवाह नहीं करता इस तडपते ईन्सान की.
साथ आये व्यक्ति ने कहा ……
डाक्टर ! यह तो आज ही की बात है,
हाल ही की वारदात है.
साहब किसी पार्टी से आ रहे हैं,
और ज्यादा खाने की वजह से साँस नहीं ले पा रहे हैं.
डाक्टर बोला ……
मैंने तो पहले ही कहा था पेट की परेशानी है,
और ज्यादा खाना तो वैसे भी नादानी है.
खैर ! कोई बात नहीं दवा दे देता हूँ आराम आ जायेगा,
जिससे यह आराम से साँस ले पायेगा.
मरीज को टोकते हुए …..
उठो बंधु यह गोली खाओ,
और आराम से लेट जाओ.
मरीज कराहते हुए ……
डाक्टर ! क्या परेशानी है,
अरे ऐसी भी क्या नादानी है?
गोली जितनी जगह पेट में होती तो मैं यहाँ आता?
अरे वहां पार्टी में मजे से हलवा नहीं खाता?