Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2017 · 1 min read

उतर आई ज़मी पर चाँदनी…..

उतर आई ज़मी पर चाँदनी सज कर जरा देखो!
खिली मैं चाँद के जैसी सजन पागल हुआ देखो!

बने मेरा मुकद्दर वो यही बस आरजू मेरी!
ख़ुदा का शुक्र करती हूँ असर लाई दुआ देखो!

करो तुम याद उस दिन को लिया जब हाथ हाथों में!
बदन मेरा सिहरता है जहाँ तुमने छुआ देखो!

छुपाया लाख उल्फ़त में मगर दस्तूर है ऐसा!
जहाँ अंगार हो उठता वहीं होता धुआँ देखो

बहकती हूँ तुम्हें पाकर शरम से लाल होती हूँ!
पिलाया था नज़र से जो नहीं उतरा नशा देखो!

चलो मिल कर मिटाते है हमारे बीच की दूरी!
कदम मैं भी बढ़ाती हूँ कदम तुम भी बढ़ा देखो!

नज़ारे बिन तुम्हारे आज भी लगते अधूरे है!
कयामत बन चले जाओ करो “श्री” को फ़ना देखो!

अनन्या “श्री”

1 Comment · 416 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Chinkey Jain
तुम ही तो हो
तुम ही तो हो
Ashish Kumar
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143के दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नई पीढ़ी पूछेगी, पापा ये धोती क्या होती है…
नई पीढ़ी पूछेगी, पापा ये धोती क्या होती है…
Anand Kumar
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
Atul "Krishn"
💐प्रेम कौतुक-318💐
💐प्रेम कौतुक-318💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मन बड़ा घबराता है
मन बड़ा घबराता है
Harminder Kaur
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अनिल
अनिल "आदर्श "
Anil "Aadarsh"
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
2739. *पूर्णिका*
2739. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मार न डाले जुदाई
मार न डाले जुदाई
Shekhar Chandra Mitra
সিগারেট নেশা ছিল না
সিগারেট নেশা ছিল না
Sakhawat Jisan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बसंत
बसंत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
निज़ाम
निज़ाम
अखिलेश 'अखिल'
बुजुर्ग ओनर किलिंग
बुजुर्ग ओनर किलिंग
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
चिंतन
चिंतन
ओंकार मिश्र
शिक्षा
शिक्षा
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
Ravi Prakash
जिंदगी में अगर आपको सुकून चाहिए तो दुसरो की बातों को कभी दिल
जिंदगी में अगर आपको सुकून चाहिए तो दुसरो की बातों को कभी दिल
Ranjeet kumar patre
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
समय यात्रा: मिथक या वास्तविकता?
समय यात्रा: मिथक या वास्तविकता?
Shyam Sundar Subramanian
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
*
*
Rashmi Sanjay
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त  - शंका
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त - शंका
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Sukun usme kaha jisme teri jism ko paya hai
Sukun usme kaha jisme teri jism ko paya hai
Sakshi Tripathi
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
पूर्वार्थ
उसकी हड्डियों का भंडार तो खत्म होना ही है, मगर ध्यान देना कह
उसकी हड्डियों का भंडार तो खत्म होना ही है, मगर ध्यान देना कह
Sanjay ' शून्य'
Loading...