उड़ी बाबा !
एक बाबा, दूसरा बाबा और फिर तीसरा बाबा—!
उडी बाबा- –!
निर्मल,पाल,आशा और फिर राम-रहीम- – –
कितने बाबा! उड़ी बाबा!
रामप्यारे, रामदुलारी मंच पर आये, आँसू टपकाये- – –
बाबा बोले!
गधे हो तुम
जी बाबा— जी – – –
कृपा होगी
जी बाबा जी
कब तक होगी
गधे हो तुम
जी बाबाजी
जब तक हम हैं तब तक होगी!
जी बाबाजी- – –
गधे हो तुम- – –
जी बाबा जी—
जलेबी खाओ और सब गधो को खिलाओ
उड़ी बाबा!
क्या बोले तुम
जी बाबाजी
समझ गये न तुम
जी बाबा जी
मुकेश कुमार बड़गैयाँ, कृष्णधर दिवेदी
mukesh.badgaiyan30@gmail.com