उठ जाग लक्ष्य संधान को
मन्दाक्रान्ता छंद विधान में लिखने का तुच्छ प्रयास
नियम:-मगण -ऽऽऽ भगण-ऽ।। नगण-।।। तगण-ऽऽ। तगण-ऽऽ। दो गुरू -ऽऽ
चौथे, छठे व सातवें वर्ण पर यति
उठ जाग ,लक्ष्य संधान को,पाने लूटे सम्मान को।
चाह शेष, हो जबतक , प्राप्त न हो तबतक।।
धीर धर, मार्ग चुन कर, सज्य हो आगे बढ़।
याद रख, भाग्य भरोसे ही, कुछभी जगत में।
नहीं मिला, नाग ऐसे ही न, कभी भी है हिला।
प्रयत्न से, चाँद पर मनु, आज दिखता है खड़ा।।
ठान कर, ही सगर ने भी तो ,गंग उतारी धरा। इस जग ,में है अगर जो, सर्वोच्च पद पर।।
स्वर्ण सम, ताप सहकर, कर्मपथ पर चले थे।।
तुम भी बढ़, लो बनकर भी,अनुचर संगमें।