उठो जागो
उलझन सुलझाओ
बिखरो निखरने के लिए
ख्वाब टूटे हौसला नही
कि मुश्किलें हार जायें
भरोसा खुद पर
अपने कर्म पर
निगाह राह के रोड़ों पर
कदम रूके तो
सामने हो मंजिल
बिना रूके
चलते जाना
राही अपने पथ पर
चलते जाना
लोग क्या कहेगें
क्या होगा प्रभाव
छोड़ो ये बातें
सिद्धार्थ यूं ही बुद्ध बने
विवेक ने की कब
किसी की परवाह
भारत के सपूतों
उठो जागो
कुछ कर दिखाओ