उजड़े ख्वाबो का कोई मंजर लगता है
उजड़े ख्वाबों का कोई मंजर सा लगता है
बिखरी यादों का कोई समंदर सा लगता है
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रख न तू गुल मजार पे भी हमारी ऐसे
गुल तेरा दिल पे कोई ख़ंजर सा लगता है
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कपिल कुमार
07/12/2016