उजड़ते चमन को कोई रोके ले
उजड़ते चमन को कोई रोके ले ,
बिखरते वतन को कोई थाम ले !
शहीदों की शहादत को यू गाली न दो ,
तुम यू लड़के भारत के टुकड़े न करो
सरहद पर बैठा वीर ये सोचा न होगा ,
घर के अंदर तबाही का मंजर भी होगा !
हम तिरंगे के लिए जान देते रहेंगे ,
और ये हमारी शहादत मिटाते रहेंगे
हम सीने पे गोली खाते रहेंगे ,
ये भारत का सीना छलनी छलनी करेंगे !
जिस तिरंगे में लपेटा हमारा शव जायेगा ,
उस तिरंगे के भी ये टुकड़े टुकड़े करेंगे !
हमारी शहादत को भूलकर ,
सरेआम अफज़ल की वकालत न करते !
अपने जीवन का हर क्षण नाम जिसके किया ,
उस हिंदुस्तान की बर्बादी का न मन्नत मनाते !
बस इतनी गुजारिश है मेरी आपसे ,
बचा लो वतन को इस आग से !
नहीं तो बचा नहीं पाएंगे हम ,
भारत को विभाजन की उस आग से !