उजियारा मौसम
शीर्षक – उजियारा मौसम
धुंध में लिपटा सारा मौसम,
कोई उजली रेख नहीं।
नहीं दिखे अपना ही साया,
तृप्ति के कोई मेघ नहीं।।
दिन में छुपा हुआ है दिनकर,
प्रात-साँझ सब एक भई।
निशा में ढूँढू निशां स्वयं का,
माटी काया सब एक भई।।
कहाँ छुपा उजियारा मौसम,
पा जाऊँ तो रार करूँ।
उद्विग्न हुए विचलित मन के,
ख़्वाबों का दीदार करूँ।।
है स्थिर सब चेतन-जड़,
महल ढहे संवेदनाओं के।
खेले आंखमिचौली सब संग,
झरे पात आकांक्षाओं के।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी