उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
फितरत के मुताबिक ढल गए लोग
सुलगते शोलों के मानिंद थे कमजर्फ
थोड़ी हवा लगी और जल गए लोग
मैदाने जंग मे बड़ा जूनून जगायेगी
ये जो मिट्टी बदन पर मल गए लोग
फूंक दिया जानबूझकर बैकसूरों को
मुझे भी आज बहुत खल गए लोग
हमने प्यार से उन्हें छूना क्या चाहा
हाथ लगाया था कि गल गए लोग
मारूफ आलम