*उगा है फूल डाली पर, तो मुरझाकर झरेगा भी (मुक्तक)*
उगा है फूल डाली पर, तो मुरझाकर झरेगा भी (मुक्तक)
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उगा है फूल डाली पर, तो मुरझाकर झरेगा भी
अगर है आज बचपन तो, समय बूढ़ा करेगा भी
यहाँ कुछ भी नहीं शाश्वत,ये जग हर क्षण बदलता है
अगर सूरज है नभ में तो, धरा पर पग धरेगा भी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451