ईश की रचना सुता
गीतिका
ईश की रचना सुता
मापनी- 2122 2122 2122 212
ईश की रचना सुता जन्में सभी को नाज़ हो
थाल ठोको इक मधुर संगीत का सुर साज हो
मार डाला भ्रूण को क्यों गर्भ में माँ रो रही
सृष्टि रचिता की कसक का ये नहीं अंदाज़ हो
देश की धड़कन बने वो हर कदम आगे बढे
आत्मरक्षा सीख ले तो और दृढ आगाज हो
शान है वो देश की शिखरों तिरंगा गाडती
हर तरफ से कामयाबी के पहनती ताज हो
चढ़ रही ऊंचाइयों पर छू रही आकाश को
कौन ऐसा रोक लेगा इस चढ़ी परवाज़ हो
…शारदा मदरा…