ईश्वर सर्व समर्थ
कहीं ख़ुशी कहीं गम,
यह जीवन का खेल।
कभी बिछड़ना होता,
और कभी बनता मेल।।
कभी होंठो पर हँसी,
कभी होते नम नैन।
कभी आनंद अपार,
कभी मन होता बेचैन।।
ऊपर वाले के आगे,
चलती नहीं है मर्जी।
लाख मन्नते कर लो,
स्वीकार नही अर्जी।।
हम सब मानव है,
यह कर लो स्वीकार।
सब हमारे हाथ नहीं,
ईश्वर सर्व समर्थ साकार।।
—- जेपीएल