ईश्वर की जयघोश
मानें तो हर घटक में ईश्वर
न मानो तो किंचित भी न
मानो तो पाषाण में कभी
कुछ समय के लिए उनमें
परमात्मा की आत्मा आती
मानने पर प्रत्येक पदार्थ में
करता ईश्वर वास इस भव में
हम सब करते, ईश्वर की जय।
माने तो भूमि भी अर्चना में
परम-ए-परमेश्वर बन जाती
लगता उनमें आ गया उक्थ
उनका पूजा- अर्चना करके
मांगते सब मंगलकामनाएं
उनके याचना से हम मनुज
सब नर – नारी होते यथार्थ
तब हम करते ईश्वर की जय।
वर्चस्व बरसाने वालों ईश्वर हमारे
सबों के कष्ट को पृथक करने वाले
क्षुधालु को भोजन, तृषित को पानी
देने वाले वही हमारे परम-ए-परमेश्वर
जो सच्चे चित्त से इनका करें सत्कार,
आराधना इस खलक, जग संसार में
उनकी मनोकामना होती है परिपूर्ण
तब ही तो सब करते इनकी जयघोश।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार