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3 Aug 2017 · 1 min read

ईश्वर की अद्भुत कृति “बेटियाँ”

विधा=सवैया
मात्रा विधान=18(10+8)
16(10+6)
यतिक्रम=10,8,10,6
चरणान्त=सगण

पँख सभी मेरे,कुतर दिए हैं,
मैं फिर भी उड़ना,सीख गई।
तुमने लक्ष्यहीन, समझा मुझको,
मैं लक्ष्य भेदना, सीख गई।
नजरों से तुमने,दूर रखा पर,
नजरों में रहना, सीख गई।
तुमने अंधकार, समझा मुझको,
मैं तेज चमकना,सीख गई।।
कुचल दिया मेरे,अरमानों को,
मैं नित मुस्काना, सीख गई।
मैं अभिशाप नहीं, बेटी तेरी,
ये गर्व जताना,सीख गई।
तपकर साहस की,तेज धूप में,
मैं स्वयं परखना,सीख गई।
अनुपम रचना मैं, हूँ ईश्वर की,
अहसास कराना, सीख गई।।

अनुराधा पाण्डेय
नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 449 Views
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