ईरादे
हो जाते दफ़न, हम
नफ़रत,
इतनी तो की होती
होते ईरादे साफ तो
मुहब्बत,
बदनाम नहीं होती
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
हो जाते दफ़न, हम
नफ़रत,
इतनी तो की होती
होते ईरादे साफ तो
मुहब्बत,
बदनाम नहीं होती
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल