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12 Apr 2024 · 1 min read

“ईद-मिलन” हास्य रचना

सिवईँ लेकर एक शायरा,
आईं, भोर सुहानी।
काजू, किशमिश सँग चिरौंजी,
कतरी हुई मखानी।

जाती नहीं जगत से क्यूँ कर,
आख़िर, रीत पुरानी।
सही ही कहा, कभी किसी ने
होती प्रीत दिवानी।।

ईद मिलो “कविराज”, हृदय से,
गई बीत रमज़ानी।
बैठे क्यूँ, उदास हो इतना,
करो कभी मनमानी।

गीत रचो इक, प्रेम-पगा सा,
कविता हो मस्तानी।
छन्द, सोरठा, मुक्तक, या फिर,
ग़ज़ल कोई रूमानी।।

गिला रहेगा, कभी मेरी क्यूँ,
बात एक ना मानी।
कभी मुझे भी झूठ ही कह दो,
कोई न तेरा सानी।।

खड़े हो गए, कलम छोड़कर,
थर-थर काँपे वाणी।
सिवईँ अटकी गले,
माँग तक नहीं पा रहे पानी।।

भूल गए सब शब्द,
लगा,ज्यों बुद्धि मेरी भरमानी।
वर्णन अब क्या करूँ,
पड़ी विपदा जैसे अनजानी।।

“आशा” जगती, पर ना होती,
पूरी, अजब कहानी।
पत्नी जी आ गईँ कूद कर,
याद आ गई नानी..!

Language: Hindi
6 Likes · 6 Comments · 113 Views
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
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