इस बार भी जल जाऊंगा
तन्हा मुसाफिर हूँ,
सर्द रातों में पिघल जाऊंगा।
मिल सके जो रोशनी,
सर-ए-आम मेरे हमदम को।
हर बार जला हूँ,
इस बार भी जल जाऊंगा।
तन्हा मुसाफिर हूँ,
सर्द रातों में पिघल जाऊंगा।
मिल सके जो रोशनी,
सर-ए-आम मेरे हमदम को।
हर बार जला हूँ,
इस बार भी जल जाऊंगा।