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18 May 2021 · 1 min read

इस बरसात नफ़रतें धुल जाएं

हो ऐसी बरसात नफ़रतें धुल जाएं,
आपस में यूँ प्रेम के फूल खिल जाएं,
पनपे दिल में पौधे परवाह ख्याल के,
दिल को करार सुकून मिल जाये।

इंसान को इंसान से मुहब्बत हो जाये,
नफरतें फरेब धोखा जल के संग बह जाये,
अमीरी गरीबी का भाव नही रहे कोई
इस बरसात कुछ ऐसे संवेदनशीलता पनप जाए।

सब कुछ निखरा और ताजा लगे ऐसे,
जैसे बारिश में धुल कर गलतियाँ सुधर जाए,
जज्बातों में बढ़े रौनक कुछ इस तरह से,
शीतलता मन में सदा ही रच बस जाये।

हो ऐसी बरसात की हर खाई पट जाये,
पावन पवित्र ह्रदय जल सम हो जाये,
नफ़रतों को भुलाकर सदा के लिए हम,
प्रेम के पौध बोये, प्रेम के फूल पाये।

हो इस बार ऐसी बरसात रब की मेहरबानी से,
रब की दुआ हर दिल तक पहुँच जाए।

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